अंतिम यात्रा

22 Oct 2012 23:38:00


$img_titleनागुपर : १६ सितम्बर २०१२ :
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के भूतपूर्व सरसंघचालक मा. सुदर्शन जी के पार्थिव पर स्थानीय गंगाबाई स्मशानघाट पर अंतिम संस्कार किए गए। उनके कनिष्ठ बंधु के. एस. रमेश जी ने मंत्राग्नि दी। संघ के पदाधिकारी, कार्यकर्ता, स्वयंसेवक और गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में करीब दस हजार से अधिक लोगों ने अत्यंत शोकाकूल मन:स्थिति में मा. सुदर्शन जी को अंतिम बिदाई दी। भू-तल पर राष्ट्रकार्यार्थ प्रकट हुई तेज:पुंज ज्योति अग्नि में समा गई।

मा. सुदर्शन जी की इच्छानुसार रायपुर में माधव नेत्रपेढी को उनके नेत्र दान किए गए।

अंतिम यात्रा


$img_titleमा. सुदर्शन जी के अन्तिम दर्शन के लिए उनका पार्थिव रेशीमबाग स्थित महर्षि व्यास सभागृह में रखा गया था। अंतिम यात्रा आरंभ होने के पूर्व के धार्मिक विधि के लिए दो बजकर तीस मिनट पर, महर्षि व्यास सभागृह के द्वार बंद कर, कुछ समय के लिए अंतिम दर्शन रोक दिया गया। उसी समय हल्की बारिश शुरु हुई, फिर भी लोग बाहर भीगते हुए शांतता से कतार में खड़े थे। धार्मिक विधि समाप्त होने के बाद फिर महर्षि व्यास सभागृह के द्वार खोल दिए गए और अंतिम दर्शन के लिए नागरिकों को सभागृह में प्रवेश दिया गया। पौने तीन बजे के करीब भूतपूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमण सिंह, भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं सांसद गोपीनाथ मुंडे, अनंतकुमार, राजनाथ सिंह, अरुण जेटली ने सुदर्शन जी को श्रद्धांजली अर्पण की। स्व. सुदर्शन जी को अंतिम भूतपूर्व सरसंघचालक प्रणाम गया। बाद में संघ की प्रार्थना हुयी।


$img_titleठीक तीन बजे फूलों से सजे और सुदर्शन जी का छायाचित्र लगाए खुले ट्रक पर उनका पार्थिव रखा गया, और अंतिम यात्रा गंगाबाई स्मशानघाट को निकल पड़ी। ट्रक पर सुदर्शन जी के भाई के. एस. रमेश तथा अन्य रिश्तेदारों के साथ संघ के चुने हुए स्वयंसेवक सवार थे। रेशीमबाग संघ कार्यालय से गंगाबाई घाट तक के मार्ग पर लोग सुदर्शन जी का अंतिम दर्शन लेने के लिए खड़े थे।

गंगाबाई स्मशानघाट आज एक अलौकिक व्यक्तिमत्त्व के अंतिम संस्कार के लिए सिद्ध हुआ था। मा. सुदर्शन जी का पार्थिव रखा ट्रक रेशीमबाग से स्मशानघाट आते समय मार्ग में जगनाडे चौक में नागरिकों ने पर पुष्पवृष्टि की। ट्रक के पीछे शोकाकूल जनप्रवाह चलते समय, मन में मा. सुदर्शन जी के साथ बिताए क्षणों का, उनके मार्गदर्शन का स्मरण कर रहा था।
गंगाबाई घाट पर पहुँचते ही, दाह संस्कार पूर्व का विधि आरंभ हुआ। मा. सुदर्शन जी के कनिष्ठ बंधु रमेश जी ने वह विधि पूर्ण किए। श्री रमेश जी ने ही सुदर्शन जी के पार्थिव को मंत्राग्नि दी और देखते ही देखते एक योगी का पार्थिव, ज्वालाओं से घिर गया। जिस पंचतत्त्व से निर्माण हुआ था, फिर उसी में मिल गया। जैसे, सागर से उठी लहर फिर सागर में ही विलीन हो गयी हो...

परमात्मा का एक दिव्य अंश, विशिष्ट कार्यार्थ इस भू-तल पर देह धारण कर आया था। उसे एक नाम मिला; एक पहचान मिली और ८१ वर्ष के काल में सौपा गया कार्य यथाशक्ति पूर्ण करने के समाधान में वह दिव्य अंश फिर परमात्मा में समा गया। लेकिन, ८१ वर्ष में यह काया, अनेकों को जीवनादर्श का स्मरण करा गई; अंतर्मन में की देशभक्ति की चिनगारी को धधकता शोला बना गई।


$img_titleमा. सुदर्शन जी का संघकार्यार्थ समर्पित संपूर्ण जीवनपट, गंगाबाई श्मशानघाट पर उपस्थित सब के मन में उपस्थित हो रहा था। धीर गंभीर स्वर में शांतिमंत्र पठन हुआ...

ॐ पूर्णमद: पूर्णमिदम् पूर्णात् पूर्णमुदच्युते|
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते|
ॐ शांति: शांति: शांति:॥
... ...

शनिवार की रात ७ बजे मा. सुदर्शन जी का पार्थिव रायपुर से विशेष विमान द्वारा नागपुर लाया गया। नागपुर के महानगर संघचालक डॉ. दिलीप गुप्ता ने पार्थिव रेशीमबाग लाया। हवाई अड्डे पर भी सैकड़ों लोग, स्वयंसेवक उपस्थित थे। रेशीमबाग में पार्थिव महर्षि सभागृह में जनदर्शनार्थ रखा गया। रा. स्व. संघ के सरकार्यवाह मा. भैयाजी जोशी ने मा. सुदर्शन जी को पुष्पांजलि अर्पण की। राष्ट्र सेविका समिति की प्रमुख संचालिका मा. शांताक्का जी, पूर्व प्रमुख संचालिका मा. प्रमिलाताई मेढे ने भी बंधुवत् ज्येष्ठ मार्गदर्शक को श्रद्धांजलि अर्पण की। रात करीब ९ बजे सरसंघचालक मा. मोहन जी भागवत नागपुर पहुँचे। उन्होंने भी सुदर्शन जी को श्रद्धांजलि अर्पण की।

रविवार की सुबह से ही स्वयंसेवक और अन्य रेशीमबाग आने लगे। गंभीर मन:स्थिति में, मा. सुदर्शन जी की यादों का स्मरण करते हुए, उन्हें श्रद्धांजलि अर्पण करने लगे।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टर, महाराष्ट्र के मंत्री अनिल देशमुख, विश्वा हिंदू परिषद के संरक्षक अशोक जी सिंघल, महाराष्ट्र की विधानसभा के विपक्ष के नेता एकनाथ खडसे, भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अण्णासाहब मुरकुटे तथा अन्य लोगों ने भी श्रद्धांजलि अर्पण की। आने वाले मान्यवर मा. मोहन जी और मा. भैयाजी को सांत्वना-भेट देकर जाते थे। सह सरकार्यवाह सुरेश जी सोनी और दत्तात्रेय जी होसबळे, मा. इंद्रेश जी, मा. मधुभाई कुळकर्णी, मा. राममाधव जी, मा. मनमोहन जी, मा. मदनदास जी आदि संघ के अधिकारी सभागृह में उपस्थित थे। देशभर से विविध क्षेत्रों के कार्यकर्ता, अधिकारी तथा संघ के अधिकारी सुदर्शन जी के अंतिम दर्शन के लिये आये थे।
 

$img_titleमा. सुदर्शन जी ने भारतीय मुसलमानों में राष्ट्रभक्ति की ज्योत प्रज्वलित करने के लिए अथक परिश्रम किए। उनके निधन से राष्ट्रवादी मुस्लिमों को अपना समर्थक खोने का दु:ख हुआ है। देश भर के विविध मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधि श्रद्धांजलि अर्पण करने आए थे।

 

$img_titleनागपुर के महापौर अनिल सोले, सांसद बलबीर पुंज, स्मृति इराणी, मौलाना बशिरुद्दीन, मौलाना शोएब कासमी, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, ज्येष्ठ संघ चिंतक मा. गो. वैद्य, ग्राहक पंचायत के अखिल भारतीय अध्यक्ष अरुण देशपांडे, महामंत्री सोमनाथ खेडकर, मार्गदर्शक राजाभाऊ पोफळी, तिब्बत सरकार के प्रतिनिधि, मध्य प्रदेश भाजपा के ज्येष्ठ नेता कैलास जोशी, बाबुलाल गौर, महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष सुधीर मुनगंटीवार, भारतीय मजदूर संघ के ज्येष्ठ नेता उदय पटवर्धन, महामंडलेश्वयर निखिलेश्वभरानंद, गुजरात प्रान्त संघचालक जयंतीभाई भडेसिया ने भी अंतिम दर्शन लिए।

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