भोपाल : दिनांक ९ जुलाई २०१७
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भय्याजी जोशी ने कहा कि समाज के अपने बंधुओं की पीड़ा और वेदना को समझने के लिए मन संवेदनशील होना चाहिए । सेवा कोई स्पर्धा का विषय नहीं है । किसने अधिक सेवा की यह विचार करना निम्न स्तर की भावना है । सेवा आंकड़ों में गिनने की बात नहीं, अपितु अनुभूति का विषय है । सेवा के विषय में हमें यह समझना होगा कि सेवा कभी भी योजना करके नहीं की जाती है । जब हम समाज की वेदना और पीड़ा को समझ लेते हैं, सेवा कार्य प्रारंभ हो जाते हैं । सरकार्यवाह जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सेवा विभाग की वेबसाइट "सेवागाथा" के लोकार्पण कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे । सेवागाथा वेबसाइट पर संघ के स्वयंसेवकों द्वारा किए जा रहे सेवाकार्यों की जानकारी और प्रेरक प्रसंग प्रकाशित होंगे । लोकार्पण कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी, संघ के मध्यभारत प्रांत के संघचालक सतीश पिंपलीकर जी और सह प्रांत संघचालक अशोक पाण्डे जी उपस्थित रहे ।
भय्याजी जोशी ने कहा कि अपने परिवार के किसी व्यक्ति की दुर्बलता को दूर करने के लिए विज्ञापन नहीं किया जाता है । उसको सक्षम बनाने के प्रयास का प्रचार नहीं किया जाता । समाजरूपी परिवार के दुर्बल वर्गों के लिए भी यही भाव रखना चाहिए । सेवा करते समय यह भाव मन में नहीं आना चाहिए कि हम कोई पुण्य कार्य कर रहे हैं । सेवा पुण्य कार्य नहीं है, अपितु करणीय कार्य है । यह हमारा कर्तत्व है । इसलिए सेवाकार्य करते समय यही विचार करना चाहिए कि हम अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहे हैं, कोई विशेष कार्य नहीं कर रहे । उन्होंने कहा कि समाज में चार वर्ग हैं, जिनके संबंध में हमें विचार करना चाहिए । एक वर्ग आर्थिक रूप से बहुत दुर्बल है । दूसरा वर्ग किन्ही कुरीतियों के कारण सम्मान से अछूता है, जिसे हम कथित तौर पर दलित कहते हैं । तीसरा वर्ग घूमंतु समाज है, जो अस्थिर जीवन जी रहा है । नागरिक अधिकारों से वंचित है । चौथा वर्ग वनवासी समाज है । यह वर्ग बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित है । इन वर्गों को देखकर हमारे मन में स्वत: ही यह भाव उत्पन्न होना चाहिए कि इस समाज के प्रति हम अपने कर्तव्य का निर्वहन करें । इन वर्गों को सम्मान दें, उन्हें अपने बराबर में लाकर खड़ा करें और उनको न्यूनतम सुविधाएं उपलब्ध कराने की व्यवस्था बनाएं । सरकार्यवाह जी ने कहा कि सेवा के द्वारा न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि समाज के इन वर्गों के अंदर आत्मविश्वास का निर्माण करना है ताकि वह स्वावलंबी बन सके । अपने पैरों पर खड़ा हो सके । अच्छा जीवन जीने का विचार उसके अंदर आ सके ।
उन्होंने कहा कि कुछ बाहरी लोगों को यह भ्रम हो गया था कि भारत को सेवा सिखाने की आवश्यकता है । इस विचार को लेकर वह भारत आए । भारत के विभिन्न क्षेत्रों में गए, तब उनका भ्रम दूर हुआ । उन्हें समझ आया कि सेवा करना भारत के लोगों का स्वाभाविक गुण है । यह उन्हें अलग से सिखाने की आवश्यकता नहीं, क्योंकि यह उनके संस्कार, परंपरा और व्यवहार में शामिल है ।
संस्कार देंगी सेवागाथा की कहानियाँ
भय्याजी जोशी ने कहा कि कथाओं में तीन तत्वों की प्रधानता होती है । कथाएं ज्ञानवर्धन करती हैं, मनोरंजन करती हैं और संस्कार देती हैं । सेवा विभाग की वेबसाइट पर सेवाकार्यों की जो कहानियाँ प्रकाशित होंगी, वह ज्ञानवर्धन और मनोरंजन से अधिक संस्कार देने का काम करेंगी । ताकि समाज के अन्य लोग, जिनके भीतर संवेदनाएं हैं, सेवा कार्य करने के लिए प्रेरित हो सकें । यही सेवागाथा की सफलता भी होगी ।
निष्काम भाव से काम कर रहा है संघ – शिवराज सिंह चौहान
इस अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समाज के भीतर निष्काम भाव से सेवाकार्य कर रहा है । विद्याभारती, सेवाभारती, भारतीय मजदूर संघ, भारतीय किसान संघ जैसे अनुषांगिक संगठन समाज के विभिन्न क्षेत्रों में रचनात्मक कार्य कर रहे हैं । भोपाल में ही मातृछाया और आनंदधाम जैसे अनूठे प्रयास सेवाभारती द्वारा संचालित किए जा रहे हैं । वर्तमान समय में अच्छाई और बुराई के बीच संघर्ष चल रहा है । इसलिए समय की आवश्यकता है कि अच्छे कार्य में संलग्न लोगों के बारे में समाज जाने, ताकि शेष समाज भी रचनात्मक कार्य की ओर बढ़े । उन्होंने कहा कि भारत का मूल विचार है कि सबमें एक ही चेतना है । पूरा विश्व एक परिवार है । सत्य एक ही है । इसी विचार को क्रियान्वित करने का कार्य संघ विगत 92 वर्षों से कर रहा है । इससे पूर्व वेबसाइट सेवागाथा के संबंध में संपादक विजयलक्ष्मी सिंह जी ने जानकारी प्रस्तुत की । कार्यक्रम का संचालन अमिता जैन जी ने किया ।